Saturday 28 October 2017

हे ईश्वर मुझे शक्ति दे
कि मैं लड़ पाऊं अपने अंतर्विरोधों से
कि मैं चल पाऊं सही रास्ते पर
और रहू ऊपर उन घरोंदो से
जो तूने बनाये ही नहीं

ईश्वर मुझे विचार दे की कहीं
रुक न जाऊ इस समाज की तरह
जो चाहता है बदलाब
पर होने नहीं देता

मुझे संवेदना दे की मैं हूँ
एक मानव सबसे पहले
किसी के दुःख, भावनाओं और संवेगो को
न देखूँ उसकी सामाजिक स्थिति से

मुझे प्रेम दे जो दे सकू उनको
जिनकी बजह से मैं हूँ
जिनके साथ मैं हूँ
जिसके साथ मैं होना चाहता हूँ

मुझे जीवन दे
जो भले ही छोटा हो पर
हर पल संतुष्टि भरा हो
और न हो कभी अफ़सोस
की काश मैं  इतना मजबूर न होता



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