अधूरी कविता
कविता लिखी
एक चिड़िया की , बचपन की
यादो की,
कल की जो सुकूँ देता है
उस कल की भी जो सुकूँ देगा
अहसासों की भी जो पले बढ़े मेरे अंदर
और फिर याद आई वो
जो बनाये रखती है एक गोला सा
इन सब के बाहर
देती है चुनौती छू लेने की
और दूर तलक भगाती है मुझे
आखिर थक के बैठता हूँ और पाता हुँ खुद को
एक नई जगह नए अहसासों के साथ
वो चाहती है कविता अपने लिए मेरे अहसासों से
कोशिश करता हूँ पर नहीं छू पाता उसे
और रह जाती है कविता अधूरी.............
Beautiful poem
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